आज ही हमारे वित्तमंत्रीजी का एक बयान देखा जिसमे उन्होंने हिन्दुस्तान के लोगों को सलाह दी है कि लोगों को स्वर्ण एवम स्वर्ण निर्मित आभूषणों के प्रति मोह छोर देना चाहिए | क्यूंकि इससे देश को काफी नुकसान उठाना पर रहा है और देश की अर्थव्यवस्था सिर्फ लोगों के स्वर्ण एवम स्वर्ण निर्मित आभूषणों के प्रति मोह के कारण बेपटरी हुई जा रही है | मैंने जब वित्तमंत्रीजी के बयान पर गहन विचार किया तो भाई मैं तो समुंद्र में उठने वाले ज्वार-भाटा के सामान विचारों के भवर में उलझ गया | मुझे लगता है कि हमारे वित्तमंत्रीजी ने काफी रिसर्च किया है इस मुद्दे पर, और उन्होंने कसम खा ली है कि चाहे जो हो जाए पर लोगों के स्वर्ण के मोह को वो भंग करके ही रहेगे | तभी तो स्वर्ण के खरीद-बिक्री पर वित्तमंत्रीजी जी पाबंदी लगाने के लिये तरह-तरह के नुस्खे आजमा रहें हैं, जिसके कारण बेतहाशा बेलगाम होती महँगाई पर ध्यान देने के लिये उन्हें समय ही नहीं मिल पा रहा है | भाई, अब बात ये है कि एक ही आदमी से कितना काम करवाओगे | बेचारे वित्तमंत्री ठहरे एक और काम अनेक | क्या-क्या देखे बेचारे … भुखे-नंगे लोगों को सुने जो फालतु में महँगाई-महँगाई चिल्ला रहें हैं | अब मूर्खों जनता को कौन समझाये कि भाई महँगाई ज्यादा होने से ये पता चलता है कि देश तरक्की कर रहा है और सब के पास धन-दौलत मौजुद है | या इस डालर को संभाले जो बिरोधियों के इशारे पर नाच रही है | या फिर पेट्रोल की कीमत को संभाले जो अमेरिका की इशारे पर हमारे वित्तमंत्री को बदनाम करने में लगा है | एक आदमी को अगर इतने सारे मुद्दे सुलझाने हों तो जाहिर सी बात है कोई भी हो, आखिर शुरुआत तो एक से ही करेगा ना | तो भाई आपलोग थोडा इन्तजार करो | जैसे ही वित्तमंत्रीजी स्वर्ण की समस्या को सुलझा लेंगे, बाकी समस्यों पर भी ध्यान देंगे |

अंशुमान चक्रपाणि का दशकों पुराना ब्लॉग नक्कारखाना (Nakkarkhana), विचारों के सैलाब को शब्द देने का एक माध्यम है.
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Tuesday, July 16, 2013
समस्या स्वर्ण की …..
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व्यंग्य

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