Sunday, June 16, 2019

जंगल के दावानल की चौकाने वाला सच

बार-बार जंगलों की भीषण आग देखकर बचपन से सोचता था, आखिर ये लगती कैसे है? और हमें बताया समझाया जाता था - 
"गर्मी ज्यादा होने से पेड़ - पेड़ से टकराते हैं और आग लग जाती है."

कितनी चुतियापे वाली बात है कि उत्तराखंड, हिमाचल के जंगलों का तापमान बामुश्किल 30-32 डिग्री जाता है और घने जंगलों और ठण्डी जगहों का तो 15-20 डिग्री ही तापमान होता है तो फिर गर्मी कहाँ हैं पेड़ में आग लगाने वाली. आज Ajit Singh के वॉल पर पहाडों की आग का बड़ा ही बीभत्स रूप के दर्शन हुए. पहली बार जाना कि ये सब प्रायोजित आग है और पहाड़ी लोकल गाँव के लोग ही इसे लगाते हैं. 🤔😢
ऐसे लोगों को तो उसी आग में भुनकर 😠👹 के चील - कौओं को महाभोज देना चाहिए. पढ़िए आप भी असली तथ्य, ये वही लोग है जो मैदानी क्षेत्र के लोगों को पहाड़ी क्षेत्र में आकर उसका नाश करने के लिए कोसते हैं 🙁😔, पर अपने कुकर्मों पर मोतियाबिंद हो जाता है आंखों पर.😎
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Ajit Singh जी के वॉल से पोस्ट :
इस समय हिमांचल के बनी गांव में हूँ । यहां मेरे दोनो बेटे एक Wrestling Academy में रहते हैं और पहलवानी करते हैं । 
कल रात ये पहाड़ियाँ धू धू कर जल रही थीं ।
पहाड़ों में आग लगती नही , लोकल लोग जानबूझ के लगाते हैं । june के महीने में ये इनका हर साल का काम होता है ।

इनका तर्क है कि इस तरह पुराना सूखा घास फूस सब जल जाता है और फिर बरसात के बाद जो नई घास उगती है वो इनके पशुओं के लिए बेहतर होती है ।
इस आग में बड़े पेड़ों को तो हल्का फुल्का नुकसान ही होता है परंतु पिछली बरसात में जो नए पेड़ उगे थे वो बेचारे भस्म हो जाते हैं ।
इसके अलावा जीव जंतु बेचारे .....…. हज़ारों पक्षी इन वनों में रहते हैं ........ उनका क्या ???????

मनुष्य इतना लालची हो चुका है कि इस पूरी धरती पे कब्जा करके भी उसका पेट नही भरा ........ बेचारा , ये दिल मांगे More .......
चारों तरफ गर्मी से त्राहि त्राहि मची है ........ इस बार तो यहां हिमांचल में भी रिकॉर्ड तोड़ गर्मी पड़ रही है । इसके बावजूद मनुष्य सबक सीखने को तैयार नही .........
उसको More चाहिए.........

असल मे हमारी सरकार हिजड़ी है .......... इस किसान नामक पावरफुल lobby के सामने तुरंत घुटने टेक देती है ........ और ये हमारे पर्यावरण का अंधा धुंध दोहन / विनाश कर रहे हैं । अगर हम जल्दी ही न चेते तो विनाश अवश्यम्भावी है .......... ऐसी तमाम practices जिनसे पर्यावरण का विनाश होता है उनपे तुरंत सख्ती से रोक लगाई जानी चाहिए ।
सरकार के पास power है कि वो पूरे गांव पे सामूहिक जुर्माना लगा सकती है । सरकार को चाहिए कि वो सबसे पहले तो इलाके के सभी ग्राम ओरधान और Revenue officials यानी पटवारी , कानूनगो , नायब तहसीलदार , तहसीलदार ,SDM को suspend करे ...... और फिर सार्वजनिक चेतावनी दे दे कि फिर कभी दोबारा जंगल को आग लगाई तो पूरे गांव या फिर पूरी तहसील को सामूहिक जुर्माना होगा ..........
दो चार को जेल में सड़ाओ तभी सुधरेंगे ..........

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