Friday, June 12, 2020

स्लिम और फिट शरीर पाने का राज.

आश्रम जीवन और मैं 

आज एक दिलचस्प वाक्या आपलोगों के सामने रखना चाहता हूँ.

कुछ लोग ही शायद जानते हों मेरा जुड़ाव योग से दो दशकों से सीखने और सीखाने से रहा हैं. वैसे तो पिताश्री मेरे जन्म के पहले से ही योग के दो बड़े स्तम्भ शिवानंद आश्रम, ऋषिकेश और बिहार योग विद्यालय, मुंगेर से डायरेक्ट जुड़े रहे. और परिस्थितयों बस मैं सन 2001 में बिहार योग विद्यालय से, दिल्ली के भौतिक जीवन और आईटी में महारथ हासिल करने और काम करने के बाद कनेक्ट हुआ. बचपन में आना-जाना होता रहा, पर वो सिर्फ एक आउटिंग होती थी मेरे लिए. कुछ साल आश्रम के कठिन अनुशासन में रहा. वही रहते हुए इच्छा हुई तो योग मनोविज्ञान में डिप्लोमा कर लिया. योग पिताश्री के लिए जीवन पद्धित थी और उसे मैं भी अपनाने की कोशिश करता रहता हूँ. इतना बताना इसलिए जरुरी था, ताकि बाकि बात आपको समझ आ सके.

योग सीखने के लिए आज तक जो भी लोग मुझ से जुड़े, पहली मुलाकात में दो-चार को छोड़कर सबकी पहली इच्छा यही होती कि वो मेरे जैसे फिट और स्लिम दिखें. अब आप कहोगे दो-चार को छोड़कर क्यों ? तो बात ये थी कि वो दो-चार लोग पहले से ही फिट और स्लिम थे और ओवरआल वेलबीइंग के लिए योग से जुड़े थे. दिल्ली हो या भागलपुर सबके सब हाई सोसाइटी वाले रहे. मेरा अनुभव रहा है, मध्यम वर्ग या निम्न वर्ग के लोग सिर्फ रोग ग्रसित होने पर ही योग की शरण में आता है. उसके पहले उनके लिए योग बकवास है.

फिर बात पहुँचती खानपान पर और लोगों का आंकलन होता “आप तो सिर्फ खिचड़ी और दलिया खाते होंगे”, इसलिए इतने फिट और स्लिम हैं. पहली मुलाक़ात में सिर्फ इतना कहता एक-एक स्टेप फॉलो करो और फिर आपकी इच्छा जरूर पूरी होगी. हो सकता है खानपान में थोडा जोड़-तोड़ करना पड़े पर मैं ये मत खाओ, वो मत खाओ नहीं कहूँगा. मैं खुद एक फूडी हूँ. लोगों को लगता, वाह बैठे बिठाए अलादीन का चिराग हाथ लग गया. खूब खुश हो जाते. 

फिर अगले सेशन में बात होती, क्या करना है.

· रात को जल्दी सोना होगा... (अगर रात में काम पर जाते हों तो एक अलग बात है.)
· सुबह सूर्योदय के पहले या कम से कम साथ उठाना होगा.
· सुबह या शाम कम से कम 4-5 किलोमीटर का वाक प्रतिदिन होना ही चाहिए.
· नियमित एक घंटा बताया और कराया गया योगाभ्यास.
· रात्रि के खाने के बाद, कम से कम एक किलोमीटर धीमी चाल में वाक.

इतना सुनकर लोगों का सर भारी हो जाता. इतना सब आप करते हो, हमसे तो ना हो पायेगा... 
ऐसे में सिर्फ इतना ही कहता हूँ - एक तंदरुस्ती हजार नियामत

इसके साथ खानपान के कुछ नियम भी, जो कभी बाद में बताऊंगा. ज्यादा लम्बा लिख दिया तो आपलोग तो पढोगे नहीं, दो-दो लाइन के चुटकुले पढने की आदत जो हो गई है.

10 comments:

  1. जी कई लोगों को परिणाम तुरंत चाहिए रहता है लेकिन वो भूल जाते हैं कि परिणाम प्राप्त करने के लिए सतत प्रयास की जरूरत होती है। हाँ, वजन के लिए खाने में चीजें छोड़ने के बजाय उनकी मात्रा में नियंत्रण करे तो ज्यादा फायदा होता है। अगली कड़ी का इंतजार है।

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    1. बिलकुल सही बात कही आपने भाई जी.
      जबरदस्ती थोपा गया डाइटिंग की उम्र बहुत ज्यादा नहीं होती, उसके वजाय नियंत्रित होकर खाया जाए तो ये बेहद आसान और सरलता से निभा लेने वाला तरीका होता है.
      कई मित्रों ने इस कड़ी को आगे बढ़ाने का आग्रह किया है. जल्द इसपर पूरी सीरिज लेकर आऊंगा.

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  2. सच्ची बात। अगर फॉलो हो पाए तो ये बेस्ट है। पर कुछ न कुछ छूट ही जाता है।

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    1. फोलो होना या ना होना तो इन्सान के अपने ऊपर है. ये इतना कठिन भी नहीं जिसे निभाया ना जा सकें. बस थोडा दिसीपिलीन की जरूरत होती है और बाकि तो माइंड गेम है और कुछ नहीं. आप जैसा अपने माइंड को ट्रेंड करेगे वो वैसा ही करेगा.

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  3. पोस्ट पूरी लिखनी चाहिए थी, जिसे फायदा लगेगा पढ़ेगा, जिसे पढ़ने ही 2-2 लाइनों के चुटकुले हैं वो यहाँ तक आएगा ही क्या करने ?

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    1. इस तरह की पोस्ट में एक ही पोस्ट में सबकुछ लिख पाना काफी मुश्किल है भाई जी. सबकुछ लिख दिया एक पूरी किताब बन जायेगी. और इनती लम्बी पोस्ट को कोई नहीं पढ़ेगा. पोस्ट को आगे बढ़ाने के लिए कई मित्रों का आग्रह आया है. जल्द ही इस सीरिज को आगे बधाऊंगा.
      आभार आपके कीमती सुझाव देने के लिए.

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  4. बढ़िया सलाह है । कुछ दिन ही शुरुआत में दिक्कत होगी । फिर आदत बन जाती है ।

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    1. बिलकुल सही कहा भाई जी. असल में ये सबकुछ एक माइंड गेम है. आप जैसे आपने माइंड को ट्रेन्ड करते हैं वो वैसे ही रिएक्ट करता है. हैबिट बस यही है.

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  5. निःसंदेह आप एक अनुभवी व्यक्ति हैं और आप जो भी लिखते हैं अनुभव के आधार पर ही लिखते हैं। आपने एक बात सही कही कि आजकल लोग चुटकले पढ़ते पढ़ते इतने आदि हो गए हैं कि दो चार लाइन से ज्यादा पढ़ना बहुत से लोगो को बोझिल लगने लगता है।।।।
    वैसे आपकी लिखी बातें शायद सभी ध्यान से ही पढ़ते हैं।।।

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    1. आपने सही कहा, मेरी लिखने में सिर्फ कहीं से कुछ पढ़कर नहीं लिखा होता. मैं जो लिखता हूँ वो अनुभव के आधार पर ही लिखता हूँ. इसी वजह से लोग पसंद भी करते हैं और आपके जैसे सुधीजन सराहते भी हैं.

      कई मित्रों ने आग्रह किया है की इसका अगला भाग लिखूं. जल्द इस कड़ी को आगे बधाऊंगा. बस ज्यादा से ज्यादा लोग पढ़े. इसके लिए अच्छे आलेख को अगर पाठक शेयर भी करते चलेगें तो इस तरह ये अधिक से अधिक लोगों तक पहुँच पायेगा.
      धन्यवाद कीमती समय देने के लिए.

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