Tuesday, July 17, 2018

हम कितने जिम्मेदार हैं???

गंगटोक से लगभग 55 किमी० की दूरी और  १३८०० फीट की उचाई पर अवस्थित है बाबा हरभजनसिंह मंदिर जो कि छंगू लेक से लगभग १६ किलोमीटर की दूरी पर है इस मन्दिर की संक्षिप्त कहानी मैं दूसरे पोस्ट में शेयर करूँगा । ये पुरा परिशर आर्मी के द्वारा संचालित होता है यहाँ तक की इतनी उंचाई होने के बाद भी आगंतुकों के लिये आर्मी कैफेटेरिया भी चलाती हैजहाँ की चायसूपबिस्किट्सकेकनमकीन आदि उपलब्ध है बिल्कुल ही सिक्किम के मूल्य पर पर हम इसका क्या हस्र करते हैं ये नजारा इसका एक दुखद उदाहरण है |

ये नज़ारा मेरे लिये इस यात्रा का सबसे दुखद पहलु लिये है लोगों ने ये नजारा तब बनाया है जबकि कैफेटेरिया के अन्दर ही हर कोने में कचरे का डब्बा रक्खा था |

स्वछता को इश्वर का प्रतिक माना गया है भारतीय संस्कृति मेंक्या पहाड़ों और वादिओं में इस तरह का ओछापन और मानसिक दिवालियापन शोभा देता हैहमलोग इस कैफेटेरिया में लगभग ३० मिनट रुके और सूपबिस्किट्सकेक आदि खाकर अपनी थकान और भुख मिटाई इस ३० मिनट में जवानों ने दो बार टेबल साफ की लेकिन १५ मिनट में फिर से हालात वहीये पिक्चर मैं सफाई के १० मिनट के बाद ली है मैंने खुद अपने बगल में बैठे कुछ बंगाली जोड़े को ऐसा करने से मना कियालेकिन सुनता कौन हैं |

ये है हमारा सभ्य और संभ्रांत समाज। शर्म आनी चाहिये ऐसे घूमने वालों को जो जो कम से कम इन्सान कहलाने के लायक तो नहीं। अब आप इसे क्या कहेंगेआप खुद सोचें। मैंने जब कुछ लोगों को मना किया तो एक जोड़े ने मुझे सपाट शब्दों में कह दिया "Mind your business".




Thursday, July 12, 2018

"यायावर एक ट्रेवलर" फिर नई शुरुआत

किसी ने क्या खुब कहा है -
"मंजिल मिल ही जायेगी भटकते ही सही,
गुमराह तो वो हैं जो घर से निकलते ही नहीं ."

सैर पर जाना या घुमक्कड़ी हर किसी किस्मत में नहीं. बिरले ही इस सौगात से नवाजे गये हैं. मुझे तो लगता है अगर एक सालमात्र एक साल कहीं यात्रा ना करूँ, तो मानसिक संतुलन ही खो दूँगा. जाने लोग पूरी जिंदगी बिना यात्रातीर्थाटन और सैर-सपाटे के कैसे बिता देते हैं. 

मस्तिष्क को चिंतनशील और क्रियाशील बनाने के लिये यात्रा करना बहुत जरुरी है. यात्रा करने से चूँकि वातावरण परिवर्तन हो जाता हैइसलिए मनुष्य के मन और मस्तिष्क में नवीनता आ जाती है. आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के लिये यात्रा एक महत्वपूर्ण साधन है. जो लोग दब्बू और संकुचित मानसिकता वाले हैंऐसे लोगों के लिये सैर-सपाटा एक अच्छा माध्यम हो सकता है आत्मनिर्भर बनने का.

यात्रा के जैसा कोई दूसरा सीखने और अनुभव करने का तरीका नहीं है. यात्रा आपको अपने क्षितिज विस्तृत करने और सीखने का नया आयाम प्रदान करता है. यात्रा आपको नई चीजेंनए भोजननए जगहोंभिन्न - भिन्न लोगों और नई संस्कृतियों को समझनेमहसूस करने की अभूतपूर्व अवसर प्रदान करता है. आप यात्रा में हवा में हों या सड़क पर हैंहर दिन नए अनुभवों के साथ आने वाली चुनौती से निपटते हैं.

निकले थे इस आस पे किसी को बना लेंगे अपना,
एक ख़्वाइश ने उम्र भर का मुसाफिर बना दिया.

पर्यटन को दुनिया का सबसे बेहतर इन्वेस्टमेंट कहा गया हैक्यूँकि ये इनवेस्टमेंट आप अपने आप में करते हैं.

World best investment advice:
"Investment in Travel is an Investment in Yourself."
~Matthew Karsten

इस भाग-दौर भरी जिन्दगी में अपनी यात्राओं (घुमक्कडी) के लिए जो भी थोड़ा समय निकाल पाता हूँ, उसके जुड़े अनुभवों को शब्दों में पिरोने की कोशिश कर रहा हूँ. इसका एकमात्र मकसद सिर्फ अपने लिए ट्रेवल डायरी और आपके लिए जानकारी को एक जगह लाने का प्रयास मात्र है. मैं कोई लेखक नहीं, पिताश्री के बाद ना ही कोई मार्गदर्शक बचा. जो भी टूटी-फूटी भाषा आती हैं, बस लिख रहा हूँ. ना मुझे हिन्दी का बहुत अच्छा ज्ञान हैं और ना व्याकरण का. गलतियाँ तो होंगीं. सुझाव देने का कष्ट करेंगे, तो शायद सुधार पाऊं. "यायावर एक ट्रेवलर" पर आप मेरी यात्रा संस्मरण को पढ़ सकते हैं.

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