Friday, May 22, 2020

बहुत कठिन है डगर हर्ड इम्यूनिटी की



जहाँ तक मुझे समझ आ रहा है कोविड - 19 वाइरस इतना आसान भी नहीं है, जितना इसे देश में सरकार के साथ-साथ लोग समझ रहे हैं और समझाने में लगे हैं. कोरोना संक्रमण अभी अपने शुरूआती दौड़ में ही है और इसे सामान्य समझ कर बिना जरूरत के खतरे लेने के कारण गंभीर परिणाम आ सकते हैं. बुरा दौर तब शुरू होगा, जब स्थिति को सामान्य करने और समझने के कारण लोग विस्फोटक रूप से संक्रमित होंगे. लोगों को इसके खतरे को समझना चाहिए. हमें आगे भी सावधान रहने की जरूरत है.

कोई कुछ नहीं जनता

एक बात याद रखिये, इस विचित्र कोविड-19 के बारे में WHO, दुनिया भर के देशों की सरकार और हमारे वैज्ञानिक, डॉक्टर हमें और आपको विश्वास दिला रही है कि वो सबकुछ जानते हैं. 
पर सच तो ये हैं कि कोई कुछ नहीं जनता और सब अँधेरे में तीर चला रहे हैं. हालात जब बेकाबू हो रहे हैं तो सरकार, वैज्ञानिक और डॉक्टर हर्ड इम्यूनिटी की बात कर रहे हैं. 
माना जा रहा है की जब अधिकतर लोग इन्फेक्टेड हो जायेंगे तो धीरे-धीरे हमारा शरीर इनके खिलाफ रोग प्रतिरोधक क्षमता बना लेगा, इसे ही हर्ड इम्यूनिटी कहा जा रहा है. कुछ मित्रों को मेरी बात अगर याद होगी, मैंने ये बात काफी पहले ही कहा था कि लॉक डाउन हटने के बाद, जीवन सामान्य होने पर हममें से 60% – 70% लोग संक्रमित होंगे. पर क्या ये सब बिना खतरे के हो जाएगा? क्या हर्ड इम्यूनिटी हासिल करने में किसी की जान नहीं जाएगी?


हर्ड इम्यूनिटी कोई भ्रम तो नहीं  

इस प्रश्न के जवाब में मैं बस इतना कहना चाहूँगा, अभी तक के ट्रेंड को देखिये. एक ही परिवार के एक सदस्य की मौत हो जाती है, जबकि दुसरे को यह पता भी नहीं चलता कि वो भी संक्रमित है. इस हिसाब से भी हर्ड इम्यूनिटी बनने के क्रम में कोविड- 19 भीषण ताण्डव मचा सकता है. अगर हर्ड इम्यूनिटी जैसी कोई चीज होती तो फिर वुहान में चीन इतना परेशान क्यों है? क्यों वुहान में लाखों लोगों का टेस्ट किया जा रहा है? चीन के वुहान को तो सबसे पहले हर्ड इम्यूनिटी हासिल कर लेना चाहिए और उसे बिल्कुल निश्चिंत हो जाना चाहिए था. कोरोना की वापसी की खबर के बीच क्यों वहाँ लाखों लोगों के टेस्ट किए जा रहे हैं. आप भी सोचिये आखिर क्यों ? 

कामकाज को पटरी पर लाना ही होगा

आज न कल लॉक डाउन को हटना ही था और हटेंगे भी. सरकार धीरे-धीरे नहीं सुपरसोनिक स्पीड में सबकुछ सामान्य करने की कोशिश करेगी. आखिर देश को बंद भी कितने दिन रखा जा सकता है. पर स्थिति को सामान्य समझने की भूल भारी पड़ सकती है. इसलिए तमाम सुरक्षा उपायों और सावधानियों के साथ कामकाज पर लौटिये. मुंह पर मास्क के साथ हैंड सैनिटाइजर तो सदा आपके पॉकेट में होना ही चाहिए. साथ ही एक बैग या थैला भी अब आपके पास हमेशा होना चाहिए. जिसमें साबुन, हैंड टॉवल, नैपकिन के साथ आपकी पानी की बोतल भी हो. 


भूलकर भी गलती ना करें 

कामकाज के अतिरिक्त घरों से तभी निकले जब अति आवश्यक हो. जरुरत के सामान महीने के हिसाब से और फल-सब्जियां हफ्ते में एक बार लाने का नियम बना लें, यही आपके साथ आपके संपर्क में आने वाले हर किसी के लिए भला होगा. जिसमें आपका परिवार सबसे पहले आता है. किसी की इस्तेमाल की गई किसी चीज को इस्तेमाल ना करें और ना ही समाजसेवक बने और अपनी चीजें दूसरों को इस्तेमाल के लिए दें. साथ ही बाहर मौज-मस्ती पर जाने, माल, सिनेमा, थिएटर, भीड़भाड़ वाले जगहों जाने पर लगाम लगाए. कोविड- 19 को हमारे देश में अभी संभाला नहीं जा सका है. यह अपना रूप-रंग हर देश में बदल रहा है. हवाई और रेल सेवा बहाल होने के बाद, यह किस रूप में वापसी करेगा ये अभी सोचा भी नहीं जा सकता. किसी वैक्सीन के जल्द आने की उम्मीद भी ना पालें.

बहुत कठिन है डगर हर्ड इम्यूनिटी की, जिसमें बचाव ही एक मात्र उपाय है.  सुरक्षित रहिये और जोश में होश ना गवाएं.

Wednesday, May 13, 2020

आत्मनिर्भरता का पहला मंत्र

होमेमेड गेहूं की आटे से बने बिना अंड्डे के केक.
कोई कमी दिख रही है क्या? फिर बाजार क्यों जाना.  

कल ही एक पोस्ट लिखी थी, जिसका सार था आत्मनिर्भर बनना, फिर मोदी जी ने रात्रि में आत्मनिर्भरता का पाठ पढ़ा दिया. अब आप इस पोस्ट को पढ़कर खुद देख लो आप आत्मनिर्भर हो सकते हो या सिर्फ गप्पे मर सकते हों आत्मनिर्भरता की. कल लिखी पोस्ट को यहाँ देख सकते हैं - https://nakkarkhaanaa.blogspot.com/2020/05/blog-post_26.html

आत्मनिर्भरता का सबसे पहला अध्याय शुरू होता है पेट से. तो सबसे पहले बाजारुपन छोडिये और किचन में खुद पसीने बहाकर अपनी मेहनत से जो भी खाने का मन करे, बनाने का प्रयास कीजिये. मैं किसी को भी अपनी चटोरी जीभ को बांधने को नहीं कह रहा, क्योकि मैं खुद ही बड़ा चटोरा हूँ. अगर आप खानपान के मामले में आत्मनिर्भर हो गए और इसके लिए आपको बाजार पर निर्भर नहीं होना पड़ता. तो आप घरेलु स्तर पर आत्मनिर्भरता को कुछ हद तक प्राप्त कर चुके हैं. और अगर यही नहीं हो पा रहा आपसे, तो फिर आत्मनिर्भरता की बात कोरी कल्पना के सिवा कुछ नहीं.

पर मेरी चटोरीपंथी का सोर्स बाजारु नहीं. मेरी चटोरीपंथी पुर्णतः घर में बने आइटम से पूरी होती हैं. जिसमें पहले माँ का और अब श्रीमतीजी का पूर्ण सहयोग रहता है. श्रीमतीजी को अपने घर का सैफ का तगमा दे दिया है. भले मेरी प्रयोगधर्मिता के चक्कर में कई बार गड़बड़ भी होते रहते हैं और श्रीमतीजी हथियार डाल मैदान छोड़ने को होती भी हैं, पर पीछे से सपोर्ट देकर टिकाये रहता हूँ मैदान में. अब आप कहेंगे की किचन में क्या प्रयोगधर्मिता ?

तो भाई, प्रयोग श्रीमतीजी जी के किचन में अजब-गजब होते रहते हैं, बिना मैदे के केक, बिना मैदे की जलेबी, बिना मैदे के गोलगप्पे, बिना मैदे के मठरी और नमकीन. बिना रिफाइन के सारे पकवान, बिना तेल के मैं नहीं कह रहा.... रिफाइन कितना खतरनाक है इसका अंदाजा आपको तब होगा जब घर में कोई हार्ट का मरीज हो जायेगा. पनीर टिक्का से लेकर मंचूरियन तक और मिठाई  से लेकर नमकीन तक घर में. आइसक्रीम घर में, महिलाओं की पहली और अंतिम इच्छा होने वाली गोलगप्पे भी घर में बने तो फिर कही और क्यों जाना.

चलिए आज कुछ झलक दिखता हूँ, मेरी सैफ श्रीमतीजी के किचन से  निकले आइटमों की, जिसे क्लिक किया जा सका. ज्यादातर मामलों में प्लेट सामने आने के बाद ही हम टूट पड़ते हैं, तो फोटो लेना रहा ही जाता है.

सबसे पहले पारंपरिक कचौरी, आलू की सब्जी (जिसे आलू की भुजिया कहते हैं हमारे यहाँ) के साथ गाजर का हलवा. 


गाजर का हलवे को क्यों अकेला छोड़ा जाएँ 

बिहार-बंगाल की परमप्रिय मुढ़ी और पकौड़े  


बेक द केक
घर के केक की परंपरा दो दशक पुरानी हो चुकी है. वैसे ये केक खानदान की बड्डी तगड़ी सैफ मेरी बहनजी ने बनाया था.  








ट्रैवल, घुमक्कड़ी मेरे लिए कोई लग्जरी नहीं, मेरा धर्म बन चुका है. सोते - जागते, उठते - बैठते दिलों - दिमाग में फितूर बनकर छाया रहता है. अब ये मेरा धर्म कैसे हो सकता है, आप भी देख लो. भांजी का जन्मदिन था, जैसा आपलोगों को शायद पता हो मैं बाहर का केक खाता नहीं, तो केक घर पर ही बनता है. चाहें समान्य चाकलेट केक बने या थीम केक. तो केक बना और थीम था जंगल सफारी. 😍🎂😍 मतलब केक को भी न छोड़ा इस घुमक्कड़ी के पागलपन ने. और घुमक्कड़ी का फितूर घर सारे सदस्यों के सिर पर चढ़कर बोलता है. देखो केक पर बाघ, गैंडे, भालु सब दिखाई देंगे. 🤣😁😂 ☸ यायावरी परमो धर्मा ☸
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मीठे-मीठे बूंदी नमकीन के साथ आपने खाएं ही होंगे.
हाजिर है कल ही फिनिस किए गए घर में ही बने बूंदी. 


जलेबी और इमरती बिहार-यूपी के साथ उत्तर भारत में शायद सबसे ज्यादा खाये जाने वाले मिठाइयों में हो. जलेबी भी हमारी सैफ घर में ही बना डालती हैं और वो भी बिना मैदे और रिफ़ाइन्ड.  






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होली पर पकवान सबके घर बनते हैं, फिर इसी पारंपरिक को अपनी आदत क्यों नहीं बना पाते. 


मेरी पसंदीदा मुंग दाल के दही बड़े.
इसके स्वाद के आगे उरद दाल के दही बड़े, कही ठहरते हैं भला.




हम तो भुजिया और नमकीन में भी आत्मनिर्भर हैं... और आप ??? 


लोग पकौड़े खाने भी बाजार की ओर भागते हैं. हद है यार शादी में पहले लड़की से पूछना था ना. खाना बनाना भी आता है या सिर्फ खाती है. कुंवारें लोग खाने के शौक़ीन हों तो लड़की भी किचन में एक्सपर्ट देखना भाई... तभी आत्मनिर्भर हो सकता हैं हिंदुस्तान. 


पोई साग के पत्तों के पकोड़े. पोई खुद छत पर उगाई, पूरी ओर्गेनिक.
इसके स्वाद का कोई जवाब ही नहीं.



खांटी देशी, शाम का हल्का-फुल्का नास्ता  


गोलगप्पे किसी पसंद नहीं, पर मैं कभी बाहर इसे खा ही नहीं सकता.
ये गोलगप्पे कुछ स्पेशल भी हैं, ये आटे से बने गोलगप्पे हैं.




समोसे से मुझे सख्त नफरत है. कई बार इसे बनाते देखा है...
सड़े आलू का भरपूर इस्तेमाल होता है, इसलिए मैं कभी बाहर इसे खा ही नहीं सकता. पर जब घर में मैदे की जगह आटे से बने, रिफ़ाइन्ड की जगह सरसों तेल तो फिर खाते वक्त गिनती भी नहीं करता.








अगर श्रीमतीजी के हाथों में जादू हो और किचन में उन्हें भूत न दिखता हो फिर चाहे पूरे साल लॉक डाउन हो, मेरे जैसे फूडी को जिसे बाहर के खाने से सदा परहेज रहा है कोई फर्क़ नहीं पड़ता. पेट में दर्द तो बाहर प्लेट चाटने वालों को हो रहा होगा 😂. क्यों सही कह रहा हूँ ना? और हाँ, सबसे जरूरी बात तो बताना ही भूल गया, ये मैदा फ्री समोसे हैं 😜. अब आपलोगों को बुला तो नहीं सकता, देखकर काम चला लो. जय हो लॉक डाउन की... #indianfood #desifoodie #homemade #kitchenking #samose #sayyestogharkakhana
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पोई साग के पत्तों के पकोड़े छत के खेत में उग रही है, जो पूरी ओर्गेनिक है. इसका दौड़ तो जब - तब चलता ही रहता है.







Lockdown में घरों में बंद लोग जहाँ डिप्रेशन का शिकार हो रहे हैं, वही हमने खेती करना शुरू कर दिया है वो भी बिना खेत के. जी हाँ, ये पकौड़े पोई के पत्तों का का है, जिसे छत पर उगाया है. किचन वेस्ट के कंपोस्ट से उगाया गया, ये पूर्ण ऑर्गेनिक भाजी से बने पकौड़े का स्वाद के आगे रेस्टोरेंट का कोई भी व्यंजन बेकार है. #Lockdown #creativity #foodie #desifoodie #gardening #rooftopgarden #kitchengarden #organicfood #desifood #tasteofhome #homemade #sayyestogharkakhana #growyourownfood #yayavarektraveler
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