काफी लंबे समय के बाद अब फिर से अपने ब्लॉग पर लिखने की सोच कर इसे अपडेट कर रहा हूँ | उम्मीद है अपनी लेखनी को फिर से जिंदा कर सकूं, जो की पिताश्री के देहांत के साथ ही बंद हो गया| पिताश्री ही मेरे लिखनी के मूल श्रोत थे | उन्होंने मेरे छोटे-से-छोटे विचारों को भी विस्तृत कर एक नया आयाम दिया | मेरी अब तक की प्रकाशित रचनाओं में चाहे वो विभिन्न समाचार-पत्रों में छपी हो या पत्रिकाओं में, उनके विचारों ने एक अहम भुमिका निभाई| उनके जैसी विस्तृत विचारों का धनी होना, अपने आप में एक उपलब्धि है |
अंशुमान चक्रपाणि का दशकों पुराना ब्लॉग नक्कारखाना (Nakkarkhana), विचारों के सैलाब को शब्द देने का एक माध्यम है.
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Monday, December 5, 2011
फिर नई शुरुआत
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फिर नई शुरुआत
नक्कारखाना खुद को स्वछंद अभिव्यक्ति करने का माध्यम है. मुझे पूज्य पिताश्री से पढ़ने और लिखने का शौक विरासत में मिला, ये बात अलग है की मेरी लेखनी में उनके जैसा पैनापन और लोगों को बांधे रखने की कूबत नहीं.
नक्कारखाना एक छोटा-सा प्रयास है अपने अंतर्मन में उबलते विचारों को लिपिबद्ध करने का और दिल में जल रहे गुस्से के भड़ास को निकालने का. आपको मेरा ये प्रयास कैसा लगा जरूर बताये, आपकी प्रतिक्रियाओं का मुझे इन्तजार रहेगा|
-धन्यवाद.
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