हमारी सरकार के साथ-साथ निजी कंपनियां और शोध संस्थाएं निरंतर शोध संवर्धन और पेटेंट के
प्रति इतनी गंभीर नहीं है, जितनी अमेरिका और यूरोप की सरकार है| हमारे यहाँ अति प्राचीन काल
से घृतकुमारी (एलोवेरा), नीम, हल्दी, हरीतकी, तुलसी, जामुन, गुगुल, शंखपुष्पी, ब्रह्मी, सर्पगंधा
आदि अनमोल जड़ी-बूटियों का उपयोग विभिन्न रोगों के उपचार के लिए किया जाता है| आज भी हम
इनका उपयोग औषधि निर्माण-उत्पादन एवं संग्रह के लिए अर्क-आसव-अरिष्ट, तैल, अवलेह, बटी,
चूर्ण, रसायन, पर्पटी आदि के रूप में करते हैं| हमने शोध, विकास और पेटेंट पर तब तक कोई
ध्यान नहीं दिया जब तक कोई अमिरेकी कंपनी ने उसका पेटेंट कराकर हमें झटका नहीं दिया|
हमारे देश के ३६ प्रतिशत लोग गरीबी रेखा के नीचे जीवन बसर कर रहे हैं, जिनके लिए पेट की भूख
मिटाने के लिए दो वक्त की रोटी और तन की लाज बचाने के लिए दो हाथ कपड़ा का जुगाड़ भी
शरीर तोड़ मेहनत करने के बाद भी नहीं हो पता है, ऐसे में अत्यंत महंगे ईलाज तो ऐसे लोगों के
लिए दिवा स्वप्न ही है| उनके लिए सर्वसुलभ चिकित्सा प्रणाली के तहत योग-ध्यान,स्वमूत्र-गोमूत्र,
होम्योपैथी, सिद्ध यूनानी, आयुर्वेद आदि का प्रचार-प्रसार शुद्ध मन से करने की आवश्यकता है| इन
क्षेत्रों में काम कर रहे लोगों और संस्थाओं को संरक्षण एवम सहायता प्रदान कर उनके विकास को
सुनिश्चित करने का प्रयास भी सरकार को करना चाहिए ताकि करोड़ों लोगों को एलोपैथी के
ग्लैमर-मायाजाल एवम साइड इफेक्ट से बचाया जा सके| आज हर विदेशी दवा कंपनी भारत को एक
आकर्षक एवम बड़े बाजार के रूप में देखती है| इनका उद्देश्य बस किसी भी उल्टे-पुल्टे फार्मूले से
तैयार दवाओं को बेचकर अधिक-से-अधिक कीमत वसूल करना है| अभी हाल में अमेरिका और
यूरोप में किये गए सर्वेक्षण के अनुसार ३५ प्रतिशत से जयादा लोग एलोपैथी को त्याग कर वैकल्पिक
चिकित्सा पद्धति को अपना चुके हैं और बाकी लोग भी इस ओर तेजी से आकर्षित हो रहे हैं| सिर्फ
भारत में ही एलोपैथी चिकित्सा एवम दवाओं की मांग में लगातार वृद्धि हो रही है| यही कारण है
किसी भी विदेशी दवा कंपनी भारत के बढ़ते बाजार में अपना पैर फैलाना चाहती है| इसलिए समयपूर्व
हमें जागने की जरूरत है ताकि स्वास्थ्य, धन एवम बहुमूल्य समय को बचाया जा सके| कुछ ज्यादा
नहीं, थोड़ी चेतना जगाकर ही भारतीय योग, आयुर्वेद, प्राकृतिक चिकित्सा, स्वमूत्र-गोमूत्र चिकित्सा
प्रणाली आदि का भविष्य आसानी से उज्ज्वल बनाया जा सकता है और विश्वव्यापी दवा माफिया से
करोड़ो लोगों को बचाया जा सकता है |