Hadjod – हड़जोड़
परिचय
गिरहबाज, हड़जोड़, जिसका आयुर्वेदिक नाम अस्थिसंहार या अस्थिजोड़
है. बिहार में स्थानीय भाषा में इसे गिरहबाज कहा जाता है. इसलिए हमलोग इसे बचपन से
गिरहबाज के नाम से ही जानते और पहचानते हैं. इसका वनस्पतिक नाम Cissus Quadrangularis (सीस्सुस क्वॉड्रंगुलारिस्) है. हड़जोड़ का मतलब हड्डी जोड़ या अस्थिजोड़ को अंग्रेजी में Bone setter (बोन सेटर) भी कहते हैं. आयुर्वेद में हड़जोड़ का तना, पत्ते तथा जड़ का औषधि के रुप में इस्तेमाल होता है. हड़जोड़ पौधा का तना
चारकोनिय एवम गांठ की तरह से बने होते हैं, इसमें एक एक गांठ पर पत्ते निकले होते
हैं, जो तना पुराना हो चूका होता है वो ज्यादातर पत्ते विहीन ही होते हैं. हड़जोड़ के
तने में हृदय के आकार वाली छोटी पत्तियां होती है. बरसात में इसमें छोटे-छोटे फूल
लगते हैं और जाड़े में लाल रंग के मटर के दाने के बराबर फल लगते हैं.
दक्षिण भारत और
श्रीलंका में इसके तने को साग के रूप में प्रयोग करते हैं.
देश के विभिन
हिस्सों में हड़जोड़ को भिन्न-भिन्न नामों से जाना जाता है:
Hindi- हड़जोड़, हड़संघारी, हड़जोड़ी, हड़जोडवा
Sanskrit- ग्रन्थिमान्, अस्थिसंहार, वज्राङ्गी, अस्थिश्रृंखला, चतुर्धारा
Oriya- हडोजोडा
Urdu- हडजोरा
Assamese– हरजोरा
Gujrati- चौधरी, हारसाँकल
Bengali- हाड़भांगा,
हरजोर
Marathi- कांडबेल,
त्रीधारी, चौधरी
English- Edible
stemmed vine, Veld grape, Winged tree vine
हड़जोड़ खास क्यों
है ?
इस पौधे का उपयोग
हड्डी के टूटने या मोच से संबंधी बीमारियों के चिकित्सा में किया जाता है या ये
कहना ठीक होगा की किया जाता था. अब तो गाँव के लोग भी इसे नहीं पहचान पाते. हड़जोड़ को
आयुर्वेद में औषधि के रुप में सबसे ज्यादा प्रयोग हड्डियों को जोड़ने के लिए
इस्तेमाल किया जाता है. इसके अलावा भी हड़जोड़ पेट संबंधी समस्या, पाइल्स, ल्यूकोरिया, मोच, अल्सर आदि रोगों के उपचार में तो होता ही है साथ ही यह दर्दनाशक और पाचन रोगों
में भी काम आता है.
औषधीय गुण
आयुर्वेद
विशेषज्ञों के अनुसार हड़जोड़ में सोडियम, पोटैशियम, फास्फेट और
कैल्शियम कार्बोनेट भरपूर पाया जाता है. कैल्शियम कार्बोनेट और फास्फेट हड्डियों
को मजबूत बनाता है. आयुर्वेद में टूटी हड्डी को जोड़ने में हड़जोड़ को रामबाण माना जाता है. इसके
अलावा कफ, वातनाशक होने के कारण बवासीर, वातरक्त, कृमिरोग, नाक से खून और कान बहने
पर इसके स्वरस का प्रयोग किया जाता है. मुख्य रूप से इसके तने का प्रयोग किया जाता
है.
सबसे पहले बात
करते हैं उस वजह की जिसकी वजह से इसका नाम ही हड़जोड़ पड़ा. ये टूटे हुए हड्डियों को
जोड़ने में चमत्कारी रूप से काम करता है. हड़जोड़ के उपयोग से हड्डी के जुड़ने का समय 33-50 फीसदी तक कम हो जाता है.
· हड़जोड़ की जड़ को
सुखाकर चूर्ण कर उसे 2-5 ग्राम दूध के साथ लेने से टूटी हुई हड्डी जुड़ जाती है.
· १. हड़जोड़ के तने
या पत्तों के रस को 10-15 मिलीग्राम घी के साथ लेने से भी टुटा हुआ हड्डी जल्द जुड़
जाता है और दर्द में भी आराम पहुंचता है.
· २. हड़जोड़ के तने
या पत्तों लुगदी बना कर अलसी तेल के साथ टूटे या मोच वाले जगह पर बांधने से आराम
मिलता है.
· ३. हड़जोड़ के पकोड़े
बनाकर 15 दिनों तक खाने से हड्डियों के टूटने में शीघ्र लाभ होता है तथा तीव्र वात
के बीमारियों में लाभ मिलता है.
हड्डी सम्बन्धी
रोगों में उपयोग
रीढ़ की हड्डी के
दर्द से भी हड़जोड़ राहत दिलाता है. इसके लिए हड़जोड़ के पत्तों को गर्म करके सेंकने
से दर्द में आराम मिलता है.
अगर मोच हो गया
हो और दर्द से परेशान हों तो हड़जोड़ का घरेलू उपाय बहुत ही लाभकारी होता है.
हड़जोड़ के तने या पत्ते का जो भी उपलब्ध हो का रस तिल तेल में मिलाकर गर्म कर मोच
पर लगाने से मोच के दर्द में आराम मिलता है और मोच को जल्द ठीक करता है.
अन्य उपयोग
· १. अस्थमा में
हड़जोड़ के रस का 5-10 मिलीग्राम को गुनगुना कर पिलाने से श्वास में लाभ होता है.
· २. हड़जोड़ के पत्ते
के रस को मधु के साथ मिलाकर पीने से पाचन क्रिया की गड़बड़ी ठीक होती है.
· ३. पाइल्स या बबासीर
में भी इसका उपयोग फायदेमंद होता है.
· ४. गठिया के दर्द से
हड़जोड़ का सेवन करने से
इससे आराम मिलता है. छिलका रहित तना एक भाग तथा आधा भाग उड़द की दाल को पीस कर तेल
में छान कर पकोड़े बनाकर खाने से वातरोगों में आराम मिलता है.
· ५. हड़जोड़ का उपयोग
बदन दर्द में भी दर्दनिवारक साबित होता है. इसका उपयोग करने पर कुछ ही देर में
दर्द से आराम मिल जाता है.
हड़जोड़ का उपयोग
कैसे करें
· १. 2-4 मिली तने जड़
का रस
· २. 1-2 ग्राम पेस्ट
· ३. 5-10 मिली पत्ते
का रस
· ४. इसके तने को
तोड़कर महीन काट कर बेसन में पकोड़े बनाकर भी उपयोग किया जा सकता है.
· ५. इसका 5-6 अंगुल
तना लेकर बारीक टुकड़े काटकर काढ़ा बना सुबह-शाम पीएं.
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