किसी ने क्या खुब कहा है -
"मंजिल मिल ही जायेगी भटकते ही सही,
गुमराह तो वो हैं जो घर से निकलते ही नहीं ."
सैर पर जाना या घुमक्कड़ी हर किसी किस्मत में नहीं. बिरले ही इस सौगात से नवाजे गये हैं. मुझे तो लगता है अगर एक साल, मात्र एक साल कहीं यात्रा ना करूँ, तो मानसिक संतुलन ही खो दूँगा. जाने लोग पूरी जिंदगी बिना यात्रा, तीर्थाटन और सैर-सपाटे के कैसे बिता देते हैं.
मस्तिष्क को चिंतनशील और क्रियाशील बनाने के लिये यात्रा करना बहुत जरुरी है. यात्रा करने से चूँकि वातावरण परिवर्तन हो जाता है, इसलिए मनुष्य के मन और मस्तिष्क में नवीनता आ जाती है. आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के लिये यात्रा एक महत्वपूर्ण साधन है. जो लोग दब्बू और संकुचित मानसिकता वाले हैं, ऐसे लोगों के लिये सैर-सपाटा एक अच्छा माध्यम हो सकता है आत्मनिर्भर बनने का.
यात्रा के जैसा कोई दूसरा सीखने और अनुभव करने का तरीका नहीं है. यात्रा आपको अपने क्षितिज विस्तृत करने और सीखने का नया आयाम प्रदान करता है. यात्रा आपको नई चीजें, नए भोजन, नए जगहों, भिन्न - भिन्न लोगों और नई संस्कृतियों को समझने, महसूस करने की अभूतपूर्व अवसर प्रदान करता है. आप यात्रा में हवा में हों या सड़क पर हैं, हर दिन नए अनुभवों के साथ आने वाली चुनौती से निपटते हैं.
निकले थे इस आस पे , किसी को बना लेंगे अपना,
एक ख़्वाइश ने उम्र भर का मुसाफिर बना दिया.
पर्यटन को दुनिया का सबसे बेहतर इन्वेस्टमेंट कहा गया है, क्यूँकि ये इनवेस्टमेंट आप अपने आप में करते हैं.
World best investment advice:
"Investment in Travel is an Investment in Yourself."
~Matthew Karstenइस भाग-दौर भरी जिन्दगी में अपनी यात्राओं (घुमक्कडी) के लिए जो भी थोड़ा समय निकाल पाता हूँ, उसके जुड़े अनुभवों को शब्दों में पिरोने की कोशिश कर रहा हूँ. इसका एकमात्र मकसद सिर्फ अपने लिए ट्रेवल डायरी और आपके लिए जानकारी को एक जगह लाने का प्रयास मात्र है. मैं कोई लेखक नहीं, पिताश्री के बाद ना ही कोई मार्गदर्शक बचा. जो भी टूटी-फूटी भाषा आती हैं, बस लिख रहा हूँ. ना मुझे हिन्दी का बहुत अच्छा ज्ञान हैं और ना व्याकरण का. गलतियाँ तो होंगीं. सुझाव देने का कष्ट करेंगे, तो शायद सुधार पाऊं. "यायावर एक ट्रेवलर" पर आप मेरी यात्रा संस्मरण को पढ़ सकते हैं.
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