गंगटोक से लगभग 55 किमी० की दूरी और १३८०० फीट की उचाई पर अवस्थित है बाबा हरभजनसिंह मंदिर , जो कि छंगू लेक से लगभग १६ किलोमीटर की दूरी पर है | इस मन्दिर की संक्षिप्त कहानी मैं दूसरे पोस्ट में शेयर करूँगा । ये पुरा परिशर आर्मी के द्वारा संचालित होता है | यहाँ तक की इतनी उंचाई होने के बाद भी आगंतुकों के लिये आर्मी कैफेटेरिया भी चलाती है, जहाँ की चाय, सूप, बिस्किट्स, केक, नमकीन आदि उपलब्ध है बिल्कुल ही सिक्किम के मूल्य पर | पर हम इसका क्या हस्र करते हैं ये नजारा इसका एक दुखद उदाहरण है |
ये नज़ारा मेरे लिये इस यात्रा का सबसे दुखद पहलु लिये है | लोगों ने ये नजारा तब बनाया है जबकि कैफेटेरिया के अन्दर ही हर कोने में कचरे का डब्बा रक्खा था |
स्वछता को इश्वर का प्रतिक माना गया है भारतीय संस्कृति में, क्या पहाड़ों और वादिओं में इस तरह का ओछापन और मानसिक दिवालियापन शोभा देता है? हमलोग इस कैफेटेरिया में लगभग ३० मिनट रुके और सूप, बिस्किट्स, केक आदि खाकर अपनी थकान और भुख मिटाई | इस ३० मिनट में जवानों ने दो बार टेबल साफ की लेकिन १५ मिनट में फिर से हालात वही| ये पिक्चर मैं सफाई के १० मिनट के बाद ली है | मैंने खुद अपने बगल में बैठे कुछ बंगाली जोड़े को ऐसा करने से मना किया, लेकिन सुनता कौन हैं |
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