"भर्तृहरि नीति शतक" से सादर समर्पित :
हिन्दी में अनुवाद :
साहित्य, संगीत और कला से विहीन मनुष्य साक्षात पूंछ और सींघ रहित पशु के समान है। और ये पशुओं की खुद्किस्मती है की वो उनकी तरह घास नहीं खाता।
साहित्यसङ्गीतकलाविहीनः साक्षात्पशुः पुच्छविषाणहीनः ।
तृणं न खादन्नपि जीवमानस्तद्भागधेयं परमं पशूनाम् ॥
तृणं न खादन्नपि जीवमानस्तद्भागधेयं परमं पशूनाम् ॥
हिन्दी में अनुवाद :
साहित्य, संगीत और कला से विहीन मनुष्य साक्षात पूंछ और सींघ रहित पशु के समान है। और ये पशुओं की खुद्किस्मती है की वो उनकी तरह घास नहीं खाता।
Meaning in English :
A person destitute of literature, music or the arts is as good as an animal without a trail or horns. It is the good fortunes of the animals that he doesn't eat grass like them.
A person destitute of literature, music or the arts is as good as an animal without a trail or horns. It is the good fortunes of the animals that he doesn't eat grass like them.
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