घुमक्कडी क्यों ???
घुमक्कडी अपनी कुंठा शांत करने के लिए नहीं होती,
घुमक्कडी होती है जीने के लिए और मुर्दे इसका स्वाद नहीं जान सकते.
घूमना मतलब खुद को जानना-पहचानना, घूमना मतलब देश के संस्कृति को, अपनी धरोहर को जानना. जब आप बाहर निकलते हैं तो हर एक दिन संघर्ष होता है हर दिन वो आपको जिंदिगी में जीने और परेशानियों से लड़ने कि शक्ति देती हैं. मेरा तो मत हैं-
“Travel, initially, to lose myself; and travel, next to find myself.”
“Travel, initially, to lose myself; and travel, next to find myself.”
मुझ से जब कोई पूछता है-
भाई बहुत घूमते हो, अभी कुछ दिनों पहले ही तो घूम कर लौटे न ?
क्या करने जाते हो यार ?
भाई बहुत घूमते हो, अभी कुछ दिनों पहले ही तो घूम कर लौटे न ?
क्या करने जाते हो यार ?
मेरा जवाब होता है -
"पिछली बार प्यास जगाने गया था और अब बुझाने जा रहा हूँ"
😍😛😍
"पिछली बार प्यास जगाने गया था और अब बुझाने जा रहा हूँ"
😍😛😍
और हाँ, घूमने के लिए ढेर सारे पैसे चाहिए, ऐसा नहीं हैं ?
पर्यटक और घुमक्कडी/ यायावर अलग-अलग होते हैं और घुमक्कड/ यायावर का अपना ही तरीका होता है. पर्यटक से अलग.
मैं खुद छोटी सी नौकरी कर रहा हूँ, किराये के मकान में रहता हूँ.
तो क्या जीना छोड दूँ?
तो क्या जीना छोड दूँ?
कबाड़ी की तरह सिर्फ कमाने, खाने और बच्चे पैदा करना, पैसे बैंक में छोडकर मर जाना मेरी फितरत नहीं.
यायावरी परमो धर्मः
अंशुमान चक्रपाणि
अंशुमान चक्रपाणि