Tuesday, February 18, 2020

मशिनियुग के मानव का जन्म

फेसबुक पर 12 साल हो गए.
इसके पहले ऑरकुट को भी इस्तेमाल कर चूका कई सालों तक. उस ज़माने में एक ग्रुप मैंने भी शुरू किया था जो दिल्ली एनसीआर बेस्ड था और उसपर 5000 लोग खुद जुड़े थे. ऑरकुट ने बाद में दम तोड़ दिया.
खैर, 12 साल बीत जाने के बाद भी मित्र की संख्या 1200 तक भी नहीं पहुँची, और हर साल और दो साल में छटनी कार्यक्रम भी करता रहता हूँ, जिसमें स्लीपर्स सेल को बाहर करता रहता हूँ. पिछले साल ही 500 लोगों को इसलिय unfriend किया क्योकिं उनके जिन्दा होने का कोई प्रमाण उनके अपने प्रोफाइल पर भी नहीं मिल रहा था. इसमें कई नजदीकी लोग और कई योगी-योगिनी भी थी. शायद समाधी मिल गई हो उन्हें.
मेरा इन्टरनेट से परिचय 1998 - 1999 में ही हो गया, मतलब 22 साल से ज्यादा हो गए मायाजाल पर. 12 साल का लम्बा सफ़र रहा फेसबुक पर. कई लोगों को मानसिक रोग से ग्रस्त होते और कई लोगों को मानसिक संतुलन खोते भी देख रहा हूँ. मतलब फेसबुक आपको कण्ट्रोल करने लगा है. पर मैंने ऐसी नौबत न आने दी कभी अपने जीवन में. और इसके लिए महीनों तक इससे दूर रहने का अभ्यास भी करता रहा. Whatsapp का शुरूआती इस्तेमालकर्ता रहा, पर जब लगातार - बारबार आती फालतू के सन्देश और दिन रात बेमतलब के विडिओ मानसिक शान्ति भंग करने लगे तो सालों तक अपने अकाउंट को डिलीट कर भी जिया और वो भी असीम शान्ति से.
आजकल फेसबुक फास्टिंग मोड़ में हूँ और दिन में एक आध बार दस मिनट के लिय ही इधर झांक रहा हूँ और किसी दिन वो भी नहीं. कहने का मतलब ये है की टेक्नोलोजी अपनी सुविधा और क्रिएटिविटी के लिए इस्तेमाल करिए ना कि अपने आपको उसके हवाले कर दीजिये. किसी की कमेंट और लाइक जब आपके मूड को दिशा देने लगे तो समझ लीजिये आप फेसबुक के गुलाम हो चुके हैं और मशिनियुग का मानव आपके अन्दर जन्म ले चूका है.

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