एक मार्मिक अपील
गंगा जी के दर्शन किसी न किसी बहाने हो रहा है, कृपा बनी रहे गंगा माँ.
बच्चों की पिछले सर्दी की कई गरम कपड़े छोटे हो गए जो हमारे काम के नहीं थे. एक थैले में डाल लेकर चले गंगा के तट पर, वापस आते हुए ठंड में एक छोटा बच्चा बिना कपड़े के नजर आया अपनी माँ के साथ सड़क पर बैठा, घर के बाहर. बेटे को बोला पूरा थैला ही दे दो. उसने बड़े प्यार से बोला - "अंटी हमारा कपड़ा है, छोटा हो गया बाबू के लिए रख लीजिए"
बेचारी गरीब माँ सिर्फ मुंह देखती रह गई और हम चल दिए.
दिल रोता है ऐसी गरीबी देखकर.
ऐसे कपडे हम सबके घरों में पड़े होते हैं, जिनका हम इस्तेमाल नहीं करते या जो बच्चों को छोटे हो जाते हैं. सोचिए जरा, अगर यही कपडे साफ कर हम किसी जरूरतमंद को दे दें तो हम किसी गरीब की जान और मान बचाने में मदद करेंगे. पर हम करते क्या हैं, ऐसे कपडे हमारे - आपके घरों में पोछा बन जाता है या ऐसे ही कूडेदान में डाल देते हैं |
आइये सब मिलकर सोचे, उनके लिए जो लाचार हैं.
ऐसे कपड़ों को एक निश्चित जगह रखा जा सकता है, जहाँ से जरूरतमंद लोग इसे ले जा सकें. |