Monday, May 11, 2020

कोरोना और कामचोर-निकम्मे सरकारी कर्मचारी


क्या सेना को घर बैठने की इजाजत दी गई है?
क्या मेडिकल स्टाफ के साथ डॉक्टर घर में बैठे हैं ?
क्या सिर्फ पैसेजर ट्रेन बंद होने से ऑपरेशन और मेंटेनेंस में लगे रेलवे कर्मी घर में बैठ गए हैं?
क्या पैरा मिलट्री फ़ोर्स और पुलिस वाले घरों में बंद हैं ?
क्या हमारे घरों में निर्बाध बिजली पानी पहुँचाने वाले और सफाईकर्मी घर में सो रहे हैं?
नहीं, घर में सो रहे हैं वो, जो अपने को देश कर कर्णधार मानते थे. घर में सो रहे कॉर्पोरेट के लोग, घर में सो रहे हैं प्राइवेट ट्रांसपोर्ट वाले. घर में सो रहे प्राइवेट हॉस्पिटल वाले, प्राइवेट डॉक्टर जो हजारों में फ़ीस वसूलते थे. घर में सो रहे वो लोग, जो दिन रात इन सरकारी कर्मचारियों को कोसते और गलियां देते थे और बस दो महीने पहले ही ये चाहते थे कि सबकुछ प्राइवेट के हाथों में बेच दिया जाएँ.
और काम कर रहे सिर्फ और सिर्फ वही कामचोर और निकम्मे सरकारी कर्मचारी. काश, सरकार कोरोना के आने के पहले रेलवे के कॉर्पोरेट के हाथों बेच देती और साथ ही साथ सरकारी हॉस्पिटल भी बंद करवा देती. तो आज देखा का नक्शा, सबकुछ बेचने को आतुर सरकार भी ना पहचान पाती.
#घरमेंरहियेसुरक्षितरहिये

2 comments:

  1. लेकिन क्या इसके बाद भी सरकार की नींद खुली है???
    जवाब है.... नही। अभी भी सरकार सब बेचने को आतुर ही है। सरकार सभी का निजीकरण करके ही दम लेगी।।

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    1. सरकार की नींद कैसे खुलेगी भाई. सरकार चलती है कॉर्पोरेट और बड़े व्यापारिक घरानों से मिलने वाले चंदे से. जब सरकार ने नमक कॉर्पोरेट और बड़े व्यापारिक घरानों का खाया है तो थोड़े देश के बारे में सोचेगी, वो तो हमेशा उनके बारे में ही सोचेगी.. जो उनको रोटी डाल रहा है.

      सबकुछ बिकता ही नजर आ रहा है. शायद एक दशक बाद हम पूंजीवादी देश कहलाने लगे. निजीकरण एक बेहतरीन गीत साझा किया है. आप भी देखिये-
      https://nakkarkhaanaa.blogspot.com/2020/07/blog-post_12.html

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