Sunday, May 10, 2020

माई बाप कई दिनों से खाना नसीब ना हुआ...

दो दिन पहले दिल्ली के एक महिला मित्र से बात हुई. पता चला गाजियाबाद एक्स में उनके फ्लैट के पीछे लोगों ने झुग्गी लगा रखा है और वो दिनभर बैठकर उस झुग्गी में हो रहे तमासे को देखकर अपने लॉक डाउन का आनन्द ले रही हैं.

मुझे आश्चर्य हुआ. ऐसा क्या हो रहा है उस झुग्गी में, जो आप पूरी लॉक डाउन में झुग्गी से आनन्द प्राप्त कर रहीं हैं? फिर उसने जो कहानी सुनाई उसे सुनकर तो मुझे समझ ही नहीं आ रहा था उसके साथ मैं पेट पकड़ कर हंसू या ऐसे लोगों का व्यवस्था का मजाक उड़ाने के लिए रोऊँ.  

जैसे उसने बताया...
सुबह 9 बजे कुछ लोग गाड़ियों में खाना भर भर कर आते हैं, इन गरीबों को खिलापिला कर एक घंटे में गाड़ी खाली कर जाते हैं.

11 बजे फिर से सरदार जी लोग आ जाते हैं और प्रेम से एक-एक को नाक - मुंह तक ठूस-ठूस कर खिलाते हैं.

1 बजे फिर सरकारी लाव-लश्कर आता है, ये लोग फिर से भूखे-नंगे की तरह खाते हैं.

3 बजे फिर से कोई NGO खाना लेकर आ जाता है. वही सारे बेचारे जो सुबह से भूखे हैं, फिर से खाते हैं.

इसके बाद भी कई लोग सुखा राशन-पानी देकर जाते हैं. ये लोग उसे भी लेकर गरीब होने का धर्म निभाते हैं.

शाम को फिर से लोग आते हैं खाना लेकर और रात का खाना खिला जाते हैं. ये बेचारे गरीब लोग, कल से खाना नहीं खाया ऐसा बोलकर फिर से दो - तीन लोगों का खाना अकेले खा जाते हैं.

रात होने के पहले जब कुछ मीडिया वाले पहुँचते हैं, तो यही जो लोग दस दिनों का खाना एक दिन में गटक चुके हैं. मीडिया के सामने ऐसा रोना रोते हैं, ऐसा रोना रोते हैं. जिसे टीवी पर घरों में बैठकर देखने वाले भी रो पड़ते हैं. कोई कह रहा है - "माई बाप कई दिनों से खाना नसीब ना हुआ", "कोई आरोप लगा रहा है यहाँ तो आजतक कोई आया ही नहीं"

जहाँ एक ओर लोग भूखे मरने को मजबूर हो रहे हैं, वही कुछ ऐसे भी नज़ारे सामने आ रहे हैं. हो ये रहा है, जो क्षेत्र पहुँच में हैं, नजदीक है वहाँ लोग पहुँच जाते हैं और ऐसे गरीब लोग जिनका पेट शायद FCI के गोदामों में जमा सारे अनाज को खाकर भी ना बुझे, वो इसका नाजायज फायदा उठा रहे हैं या यूँ कहे की पीड़ित होने का ड्रामा कर कई और भूखे लोगों के पेट पर लात मारकर सारा खाना और राशन हजम कर ले रहे हैं.

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