Tuesday, December 31, 2024

New Year's New Resolution

हर जाते हुए पुराने साल के अंत में 
लोगों को नए साल को ग्रैंड welcom करने का 
सबसे बेहतरीन तरीका लगता है... 
नए साल का नया 
Resolution यानि संकल्प बनाना. 

पर जिस हड़बड़ी और गड़बड़ी में नए साल 
के आगमन के चन्द घंटे या एक दो दिन 
पहले Resolution यानि संकल्प की खोज
की जाती है. वैसे ही नए साल से आने के 
चंद दिनों या हफ़्तों में ये 
Resolution यानि संकल्प जिन्दगी की 
आपाधापी में खो भी जाते हैं.

इसलिए इस नववर्ष के लिए कोई नया 
Resolution यानि संकल्प की खोज 
करने के बदले बस ये संकल्प लें, 
जो Resolution यानि संकल्प 
हमने पिछले साल लिया था
उसे ही इस नववर्ष में अमल में 
लाने की कोशिश करूँगा.

जय हो ! 

Tuesday, June 8, 2021

Real Elite Class in India

!आज एक मजेदार तथ्य!

Real Elite Class in India



पढ़िए समझिये और अपनी राय दीजिये...

भारत की कुल बजत का 3% से भी कम निवेश स्टॉक मार्किट में होता है. जिसमें LIC और इसके जैसी कई प्राइवेट कंपनियो का इंशोरेंस का निवेश भी शामिल है, जिसमें इंशोरेंस बेचने वालों और बैंक मिलकर जो ग्राहक को उल्लू बना फंसाकर निवेश हासिल करते हैं वो भी शामिल है.

अगर लोगों के डायरेक्ट स्टॉक मार्किट में निवेश के आंकड़े को ही लें, तो वो 1% मात्र है. मतलब देश में मात्र 1% लोग एवरेज लोगों से अलग सोच रहते हैं और सही मायने में प्रबुद्ध कहे जा सकते हैं, जो निवेश को समझते हैं.
क्या आप इसका सबसे बड़ा कारण जानते हैं....

इसे Financial literacy की कमी कहा जाता है. अगर सीधे-सीधे कहूँ तो भारत में 97% से ज्यादा लोग Financially Illiterate हैं. इसका मतलब ये हुआ की जो 1% लोग डायरेक्ट मार्किट में निवेश करते हैं वो सुपर क्लास है, elite class.

तो भाई लोग खुद को स्पेशल फील करो, अगर आप भी इस क्लास में हो और अगर आप 97% वालों में हैं तो तो इश्वर आपका भला करें.

Monday, May 24, 2021

Hadjod – हड़जोड़ एक चमत्कारी पौधा



Hadjod – हड़जोड़

परिचय

गिरहबाज, हड़जोड़, जिसका आयुर्वेदिक नाम अस्थिसंहार या अस्थिजोड़ है. बिहार में स्थानीय भाषा में इसे गिरहबाज कहा जाता है. इसलिए हमलोग इसे बचपन से गिरहबाज के नाम से ही जानते और पहचानते हैं. इसका वनस्पतिक नाम Cissus Quadrangularis (सीस्सुस क्वॉड्रंगुलारिस्) है. हड़जोड़ का मतलब हड्डी जोड़ या अस्थिजोड़ को अंग्रेजी में Bone setter (बोन सेटर) भी कहते हैं. आयुर्वेद में हड़जोड़ का तना, पत्ते तथा जड़ का औषधि के रुप में इस्तेमाल होता है. हड़जोड़ पौधा का तना चारकोनिय एवम गांठ की तरह से बने होते हैं, इसमें एक एक गांठ पर पत्ते निकले होते हैं, जो तना पुराना हो चूका होता है वो ज्यादातर पत्ते विहीन ही होते हैं. हड़जोड़ के तने में हृदय के आकार वाली छोटी पत्तियां होती है. बरसात में इसमें छोटे-छोटे फूल लगते हैं और जाड़े में लाल रंग के मटर के दाने के बराबर फल लगते हैं.

दक्षिण भारत और श्रीलंका में इसके तने को साग के रूप में प्रयोग करते हैं.

 

देश के विभिन हिस्सों में हड़जोड़ को भिन्न-भिन्न नामों से जाना जाता है:

Hindi- हड़जोड़, हड़संघारी, हड़जोड़ी, हड़जोडवा
Sanskrit- ग्रन्थिमान्, अस्थिसंहार, वज्राङ्गी, अस्थिश्रृंखला, चतुर्धारा
Oriya- हडोजोडा
Urdu- हडजोरा
Assamese– हरजोरा
Gujrati- चौधरी,  हारसाँकल
Bengali- हाड़भांगा, हरजोर
Marathi- कांडबेल, त्रीधारी, चौधरी
English- Edible stemmed vine, Veld grape, Winged tree vine

 

हड़जोड़ खास क्यों है ?

इस पौधे का उपयोग हड्डी के टूटने या मोच से संबंधी बीमारियों के चिकित्सा में किया जाता है या ये कहना ठीक होगा की किया जाता था. अब तो गाँव के लोग भी इसे नहीं पहचान पाते. हड़जोड़ को आयुर्वेद में औषधि के रुप में सबसे ज्यादा प्रयोग हड्डियों को जोड़ने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. इसके अलावा भी हड़जोड़ पेट संबंधी समस्या, पाइल्स, ल्यूकोरिया, मोच, अल्सर आदि रोगों के उपचार में तो होता ही है साथ ही यह दर्दनाशक और पाचन रोगों में भी काम आता है.

 

औषधीय गुण

आयुर्वेद विशेषज्ञों के अनुसार हड़जोड़ में सोडियम, पोटैशियम, फास्फेट और कैल्शियम कार्बोनेट भरपूर पाया जाता है. कैल्शियम कार्बोनेट और फास्फेट हड्डियों को मजबूत बनाता है. आयुर्वेद में टूटी हड्डी को  जोड़ने में हड़जोड़ को रामबाण माना जाता है. इसके अलावा कफ, वातनाशक होने के कारण बवासीर, वातरक्त, कृमिरोग, नाक से खून और कान बहने पर इसके स्वरस का प्रयोग किया जाता है. मुख्य रूप से इसके तने का प्रयोग किया जाता है.

 

सबसे पहले बात करते हैं उस वजह की जिसकी वजह से इसका नाम ही हड़जोड़ पड़ा. ये टूटे हुए हड्डियों को जोड़ने में चमत्कारी रूप से काम करता है. हड़जोड़ के उपयोग से हड्डी के जुड़ने का समय 33-50 फीसदी तक कम हो जाता है.

·  हड़जोड़ की जड़ को सुखाकर चूर्ण कर उसे 2-5 ग्राम दूध के साथ लेने से टूटी हुई हड्डी जुड़ जाती है.

·        १. हड़जोड़ के तने या पत्तों के रस को 10-15 मिलीग्राम घी के साथ लेने से भी टुटा हुआ हड्डी जल्द जुड़ जाता है और दर्द में भी आराम पहुंचता है.

·         २. हड़जोड़ के तने या पत्तों लुगदी बना कर अलसी तेल के साथ टूटे या मोच वाले जगह पर बांधने से आराम मिलता है.

·        ३. हड़जोड़ के पकोड़े बनाकर 15 दिनों तक खाने से हड्डियों के टूटने में शीघ्र लाभ होता है तथा तीव्र वात के बीमारियों में लाभ मिलता है.


हड्डी सम्बन्धी रोगों में उपयोग

रीढ़ की हड्डी के दर्द से भी हड़जोड़ राहत दिलाता है. इसके लिए हड़जोड़ के पत्तों को गर्म करके सेंकने से दर्द में आराम मिलता है.

अगर मोच हो गया हो और दर्द से परेशान हों तो हड़जोड़ का घरेलू उपाय बहुत ही लाभकारी होता है. हड़जोड़ के तने या पत्ते का जो भी उपलब्ध हो का रस तिल तेल में मिलाकर गर्म कर मोच पर लगाने से मोच के दर्द में आराम मिलता है और मोच को जल्द ठीक करता है.

अन्य उपयोग

·        १. अस्थमा में हड़जोड़ के रस का 5-10 मिलीग्राम को गुनगुना कर पिलाने से श्वास में लाभ होता है.

·         २. हड़जोड़ के पत्ते के रस को मधु के साथ मिलाकर पीने से पाचन क्रिया की गड़बड़ी ठीक होती है.

·         ३. पाइल्स या बबासीर में भी इसका उपयोग फायदेमंद होता है.

·         ४. गठिया के दर्द से हड़जोड़  का सेवन करने से इससे आराम मिलता है. छिलका रहित तना एक भाग तथा आधा भाग उड़द की दाल को पीस कर तेल में छान कर पकोड़े बनाकर खाने से वातरोगों में आराम मिलता है.

·        ५. हड़जोड़ का उपयोग बदन दर्द में भी दर्दनिवारक साबित होता है. इसका उपयोग करने पर कुछ ही देर में दर्द से आराम मिल जाता है.

 

हड़जोड़ का उपयोग कैसे करें

·        १. 2-4 मिली तने जड़ का रस

·         २. 1-2 ग्राम पेस्ट

·        ३.  5-10 मिली पत्ते का रस

·         ४. इसके तने को तोड़कर महीन काट कर बेसन में पकोड़े बनाकर भी उपयोग किया जा सकता है.

·        ५.  इसका 5-6 अंगुल तना लेकर बारीक टुकड़े काटकर काढ़ा बना सुबह-शाम पीएं.

 

Saturday, April 24, 2021

कोरोना और ऑक्सीजन

 

आज बैठे - बैठे मन में एक विचार आया

इसी महीने ग्यारह साल से रह रहे फ्लैट को छोड़कर दूसरे घर में सिर्फ और सिर्फ इसलिए शिफ्ट किया, क्योंकि नए मकान मालकिन को छत पर गमलों में लगे पौधों से नफरत थी. हर महीने बंगलोर से ही गमलों को हटाने की नसीहत कई महीनों से दे रही थी. एक बार तो हमने भी सोचा हर महीने के किचकिच से अच्छा है, पौधे किसी को दे दूँ या उखाड़ फेंकूं. जिस दिन केजरीवाल के खानदान से ताल्लुक रखने वाली मकान मालकिन टपक पड़ी, उस दिन रायता फैला देगी. कई पौधों को उखाड़ फेंका, क्योंकि कोई वारिस ना मिला. आधे पौधे नष्ट होने के बाद आत्मा ने धिक्कारना शुरू कर दिया, मन बेचैन हो उठा. दो - तीन रात ठीक से सो नहीं पाया. फिर फैसला किया, अब इस फ्लैट को ही अलविदा कह देंगे. आखिर हर महीने समय से मोटा किराया चुकाते हैं, तो फिर दूसरों की सनक क्यों झेलें. और हमने घर शिफ्ट कर डाला और प्रकृति और पौधों से नफरत करने वाली चुड़ैल से अपने आधे पौधे बचा लिए. अब ये सब रामकहानी मैं आपको क्यों बता रहा हूँ??? असल में ये रामकहानी असली कहानी की पृष्ठभूमि मात्र है, असली कहानी तो अभी बाकी है.

प्रकृति और पेड़ - पौधों का हमने जितना विनाश किया है, उसका ही परिणाम है कि आज ऑक्सीजन के बिना जान से हाथ धोना पड़ रहा है. कोरोना के तांडव पर नजर डालें तो ज्यादा प्रदूषित शहरों और जगहों पर य़े आतातायी बनकर कहर ढा रहा है और मौत ऐसी जगहों पर ज्यादा हो रही है. गावों और प्रकृति की गोद में रहने वालें लोग आज भी मौज में जी रहे हैं. वहाँ कोरोना कुछ बिगाड़ ना पा रही, या फिर रुग्ण और बीमार लोग ही ऐसी जगहों पर लपेटें में आ रहे हैं. ऐसा इसलिए हो रहा है, क्योंकि वहाँ ऑक्सीजन की मात्रा हवा में इतनी है कि किसी को ऊपर से चढ़ाने की नौबत नहीं आती.

कोरोना  के इस कहर में या तो हम और आप अंतिम यात्रा पर निकल लेंगे या फिर माँ प्रकृति की कृपा और अपने शरीर को इससे लड़ने के लिए तैयार कर रखा होगा तो बच लेंगे. कोरोना दो अहम सबक दे रहा और पूरी दुनिया केवल और केवल एक पर ही मुद्दे पर सर फोडू चर्चा में लगी पड़ी है -

"अपने को ऐक्टिव और स्वस्थ रखने के लिए योग, एक्साइज, वॉक, दौड़कर अपने को चुस्त - दुरुस्त रखो, कोरोना कुछ ना बिगाड़ पायेगा."



हो सकता है य़े बातेँ सही हों - योगी, डॉक्टर, वैज्ञानिक, अनुसंधान में लगे लोग सब यही सलाह दे रहे हैं, तो गलत तो नहीं होगा. पर मेरी छोटी सी समझ ये कहती है कि य़े सलाह ठीक वैसे ही है, जैसे आस-पड़ोस में आग लगी हो और आप अपने घर का ऐसी (AC) चलाकर चैन की बंसी बजाइए और कूल रहिये. सोचिये जरा, आखिर इस मूर्खतापूर्ण तरीके से कब तक बचेंगे???

 

इस कोरोना के कहर के वक़्त का दूसरा अहम पहलू है - ऑक्सीजन.

जी हाँ, ऑक्सीजन. जैसे ही पता चला रिपोर्ट पॉजिटिव आई है, लग जाते हैं ऑक्सीजन की खोज में. आज का ट्रेंड यही है. धन्ना सेठों ने अपने घरों में बेवजह ऑक्सीजन सिलेंडर भरभर रखा हुआ है, जाने कब जरूरत पड़ जाए. और उधर हजारों लोगों की जान सिर्फ और सिर्फ दो घूंट ऑक्सीजन नसीब ना हो पाने की वजह से जा रही है. खैर, ये सदियों से होता आया है और आगे भी होता रहेगा. इस खास और आम की असमानता पर मेरा और आपका कोई बस नहीं. तो करें क्या??? वो करिए जो आपके बस में है. 


जी हाँ, पहला उपाय तो आप कर ही रहे हैं, जिसे जोरशोर से मिडिया के हर माध्यम से प्रचारित और प्रसारित किया जा रहा है. आज हम बात करेगे उस दुसरे उपाय की जिसकी बात कोई नहीं कर रहा. प्रकृति का पोषण कीजिये, प्रकृति का  रक्षण कीजिये. वृक्ष लगाएं, जंगल बढ़ाए... अब आप सोच रहे होंगे, क्या बकवास कर रहा हूँ. ये काम कोई एक दिन में होगा क्या???








मेरे - आपके जैसे लोग तो शहरों में कबूतर के खोप जैसे घरों में रहने को बाध्य है और पेड़ कहाँ लगाये भाई??? इसका भी उपाय है. आज ही शुरुआत कीजिए. घरों के अंदर, छतों और बालकनी में गमले में जितना हो सकें छोटे पौधें लगाए. तुलसी, घृत कुवांरी (एलोवेरा), पुदीना, लेमन ग्रास जैसे औषधीय पौधें लगाकर शुरुआत कीजिए. कई इंडोर प्लांट हैं - मनी प्लांट, स्पाइडर प्लांट, स्नेक प्लांट, पीस लिली, एरिका पाम, घृत कुवांरी (एलोवेरा), रबर प्लांट, बैम्बू प्लांट जैसे पौधे, घर के अंदर अच्छे से बढ़ते है और ऑक्सीजन लेवल भी बनाए रखते हैं. ऐसे पौधों को कमरे की खिड़कियों, बरामदे जहाँ जगह मिले लगाईये. अब भी अगर बात समझ नहीं आ रही तो शायद ये आखिरी मौका है आपके पास, इसके बाद फिर ऐसी सलाह मानने के लिए ना आपके पास समय होगा और ना जरूरत. क्योंकि मरे हुए लोगों की आत्माओं को ना ऑक्सीजन की जरूरत होती है और ना ऑक्सीजन सिलेंडर की. हो सकता है अभी ये पोस्ट बकवास लगे. पर आने वाले समय में जब कोरोना का कहर थोडा कम होगा, यही बात आपको वैज्ञानिक से लेकर हर कॉपी पेस्ट वाले समझा रहे होंगे.

Sunday, July 12, 2020

मोदी जी के निजीकरण पर बेहतरीन गीत...

मोदी जी के निजीकरण के शानदार निर्णय और काम पर गाया गया बेहतरीन गीत. 
छोटा सा गीत है ... आप भी सुनिए, शायद समझ में आये.



Friday, July 10, 2020

क्या आप भी ऐसी ही हालत में जाना चाहते हैं?

अंधों की बस्ती में फिर आइना बेचने आया हूँ

भागलपुर शहर में पहले ही कोरोना का तांडव शुरू हो चूका है. बिना किसी मुहैया सुरक्षा उपायों के मार्च से इमरजेंसी ड्यूटी पर काम पर लगे भागलपुर रेलवेकर्मीयों में से दो दिनों में दर्जन भर लोग कोरोना की चपेट में आ गए हैं. पर भागलपुर में रहने वाले किसी भी रेलवेकर्मी की अभी तक जाँच नहीं की जा सकी. भागलपुर के सभी संक्रमितों की हालत सीरियस, प्रशासन सो रहा है. ना ही टेस्ट किया जा रहा और ना ही हॉस्पिटल में भर्ती की गई. सबके-सब बेबस से मायागंज और सदर हॉस्पिटल के चक्कर काट - काट कर आखिर घर वापस आ गए. जमालपुर से आने वाले एक कर्मी की मुंगेर में की गई टेस्ट रिपोर्ट पोजेटिव आई. संक्रमितों के परिवारों वालों का हाल बेहाल है, सबके सब हिम्मत हार रहे हैं. रोना-ढोना शुरू हो चूका है. 

हॉस्पिटल और सरकारी डॉक्टर संक्रमितों के टेस्ट करने में इतना खौफ खा रही है. जबकि ये डॉक्टर सामान्य सर्दी खांसी वालों को भी बिना पीपीई किट पहले और दो - दो ग्लब्स एक के ऊपर एक घुसेड़े देखते तक नहीं. इतनी तैयारी के बाद भी देखते हैं तो कम से कम 15 फिट दूर से. ऐसे डॉक्टर कोरोना पीड़ितों को हॉस्पिटल में बचाते कैसे हैं, यही तमाशा देख कर मुझे हंसी आती है... मुझे हंसी आती है जब समाचार आता है .... "कोरोना को हराने वालों को ताली बजाकर हॉस्पिटल से विदा किया गया." सबकुछ बस मिडियावादी होकर रह गया है. लोग बचते अपने दम पर हैं और नाम अपने चैम्बर से ना निकलने वाले डॉक्टर कमा रहे हैं.

सोचिये...

फोन पर कोरोना संक्रमितों की मदद का भरोसा दिया जाता है. भरोसा देने वाले विज्ञापनों पर कई करोड़ खर्च कर दिए गए, पर संक्रमित मरीज जब खुद चलकर हॉस्पिटल पहुंचता है. तब वहाँ उसे ना कोई डॉक्टर मिलता है और ना कोई सिस्टम. कोरोना संक्रमित भटक रहा यहाँ से वहाँ, वहाँ से यहाँ, पर कोई टेस्ट तक करने वाला नहीं. अगर गलती से कोई डॉक्टर या कर्मी मिल भी गया तो ये कंफ़र्म होने पर कि ये कोरोना संक्रमित हो सकता है, उसे Home Quarantine रहने को बोल हॉस्पिटल से भगा देते हैं. भागलपुर में हॉस्पिटल के साथ प्रशासन भी अति निकम्मा और आलसी है. हालत अति दयनीय होती जा रही है, पर टेस्ट करने में भी कोताही. जैसे इनके बाप का पैसा खर्च हो रहा हो. बिहार में कोरोना टेस्ट सिर्फ VIPs, नेता या फिर उसने चमचे का हो रहा है.

अब आप खुद सोचिये... क्या आप भी ऐसी ही हालत में जाना चाहते हैं? 

अपने परिवार के खातिर ही सही, लगाम लगाइए अपनी मौज - मस्ती और बाहर निकलने की प्रवृति पर. अति आवश्यक होने पर या काम पर जाना हो तो सुरक्षा के सारे उपायों का पालन कीजिये. इस पोस्ट को पढ़िए और सतर्क रहिये- कोरोना और हम. वरना ले डूबेगा ये कोरोना. अभी भी वक्त है सुधर जाओ, वरना सिधारने की नौबत आ जाएगी. जिन्हें लगता है कोरोना सिर्फ सर्दी-खांसी है. उनके लिए बस इतना कहना चाहूँगा. 
बस अपना या अपने अपनों के बारी आने का इंतजार करिए. जिस दिन आपकी बारी आ गई, समझ आ जायेगा आखिर कोरोना किस बला नाम है. 

मुझे पता है जब आपने आज तक दी मेरी चेतावनी नहीं मानी, तो आज इस पोस्ट से भी किसी कोई कोई फर्क पड़ने वाला नहीं. तभी तो शीर्षक रखा है- "अंधों की बस्ती में फिर आइना बेचने आया हूँ".  

Friday, July 3, 2020

भागलपुर का दुर्भाग्य बनेगे व्यापारी वर्ग


भागलपुर में अब हुआ है खेल शुरू कोरोना का. शहरी आबादी अब चपेट में आना शुरू हो गई है. पर लोगों को कारण समझ में नहीं आ रहा.

अरे महामुर्खों ...
कारण अब सिर्फ एक है ब्रह्मपुत्र मेल.
व्यापारी समाज अपने कालेधन को ढ़ोंने के लिए जिस तरह रेलवे और सरकार पर भागलपुर से सारे ट्रेन को चलाने का दबाव बना रहा है.... उसका परिणाम भागलपुर क्षेत्र तो भुगतेगा पड़ेगा, व्यापारी समाज भी बचने वाले नहीं. एक ट्रेन जो भागलपुर से मात्र गुजर रही है, तो उसने शहरी क्षेत्र में इतना कोरोना का प्रसाद बांटा है कि आज हर मारवाड़ी मोहल्ले में दो - चार घर कोरोना संक्रमित है. वो भी सरकारी खाते में. बिना हिसाब किताब वाले कोरोना मरोजों को तो यमराज ही पहचान सकते हैं, बिहार सरकार के कूबत से बाहर है.
भागलपुर बस कुछ दिन और चैन से जी लो. इसके बाद व्यापारी संघ और बड़े पहुँच वाले व्यापारियों के पाप को पुरे शहर को ढोना है. व्यापारी संघ और बड़े पहुँच वाले व्यापारियों ने सरकार को डंडा कर - कर भागलपुर से लगभग सभी ट्रेनों के चलने का रास्ता साफ कर दिया है. हफ्ते - दस दिन में सभी ट्रेन चल पड़ेगी... ये समाज अपने कालाधन से व्यापर को गति दे सकेगे, जो लॉक डाउन की वजह से ऑनलाइन से एक नंबर से धंधा करने को विवश हैं. पर पूरा शहर कोरोना के गिरफ्त में होगा.
आओ कोरोना, यहाँ बहुत जाने वाले तैयार बैठे हैं. ले जाओ.
बोलो कालेघन वालों की जय हो!

Tuesday, June 30, 2020

नई दिशा

नई दिशा

पहले अच्छी तरह से
हडडी–पसली तोड़ दो.
खड़ा न हो सके
ऐसा निचोड़ दो.
टूटकर पंगु हो जाए
तब देश को नया मोड़ दो.

मुफ्तखोर भारत

मोदीजी का देश के नाम लॉक डाउन के घोषणा से लेकर अब तक का छठा संबोधन, अभी-अभी मोदीजी के वेबसाइट पर सुना. सुनकर ये तो पता चल गया कि सरकार अब ये सांत्वना नहीं दे रही कि कोरोना इस महीने चला जाएगा या अगले महीने चला जाएगा. मतलब सरकार अब ये समझ चुकी है, देश की हालत आने वाले दिनों में और भी बदतर होने वाला है.

पर इसके लिए जिस तरह से सरकार लोगों को मुफ्तखोरी की रबड़ी बाँट रही है, ये अर्थव्यवस्था को बिलकुल ही पंगु बना देगा और लोगों को कामचोर. हमारा ग्रामीण क्षेत्र पहले से ही मजदूरों और कामगारों की कमी झेल रहा. ग्रामीण मजदुर या तो पलायन कर रहे हैं या फिर मुफ्त की रोटी मचान पर बैठकर तोड़ रहे हैं. इस तरह से लोग और निकम्मे और आलसी बनेंगे. जब लोगों का पेट बैठ-बिठाए ही भरता रहेगा, तो फिर कोई क्यों काम करे. 

वाह मोदीजी डॉक्टर, मेडिकल स्टाफ, सेना, रेलवे, सफाई कर्मी जो इस कोरोना काल में जान हथेली पर लेकर काम कर रहे हैं, उन्हें तो आप उपहार में सैलरी पर कैंची चला रहे हो और यहाँ 90 करोड़ लोगों को मुफ्त की रबड़ी बाँट रहे हो, जो दो रूपये किलो की राशन खाकर पहले ही निकम्मे और कामचोर हो चुके हैं. आत्मनिर्भर भारत बने ना बने, निकम्मा भारत तो जरुर बनेगा.
जय हो... जय हो. 


देश की हालत क्या होगी, यही सोचकर दशकों पहले लिखी मेरी ये कविता आज सहसा ही याद हो आई. ये 2002 में उस समय के दिग्गज हिंदी पत्रिका में ऑनलाइन छपी थी. 


नई दिशा

पहले अच्छी तरह से
हडडी–पसली तोड़ दो.
खड़ा न हो सके
ऐसा निचोड़ दो.
टूटकर पंगु हो जाए
तब देश को नया मोड़ दो.

-अंशुमान चक्रपाणि 
(http://hindinest.com/kavita/2003/034.htm)

Sunday, June 28, 2020

सबसे बड़ा आतंकवादी

क्या आप जानते हैं आज देश का सबसे बड़ा दुश्मन कौन है?

देश का सबसे बड़ा दुश्मन आज आतंकवादी, जेहादी, पाकिस्तान, नेपाल या चीन नहीं...
आज देश का सबसे बड़ा और खतरनाक दुश्मन है आपके और हमारे शहरों, नगरों, गावों के बाजारों, सड़कों, गलियों और समाज में बिना सुरक्षा उपायों और मास्क के घूमते-मंडराते लोग. यही वो लोग हैं, जिन्होंने हमारा और आपका जीना हराम कर दिया है. यही वो लोग हैं जिनकी वजह से कोरोना नित नए चरम पर जा रहा है. बॉर्डर पर जो भी देश के दुश्मन हैं, वो तो साफ दिख रहे हैं और उनसे हमारे बहादुर सैनिक निपट ही लेंगे. पर हमारे बीच जो ये कोरोना आतंकवादी घूम रहे हैं, इसे तो सरकार गोली भी नहीं मार रही.
सावधान रहिये ऐसे लोगों से. यही देश के सबसे बड़े आतंकवादी हैं... कोरोना आतंकवादी.

Sunday, June 21, 2020

आज के दिन सब योगी हैं !

आज पूरी दुनिया में दो घटनाएँ एक साथ घट रही है.
पहला तो आज अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस है और दूसरा साल का सबसे बड़ा सूर्यग्रहण चल रहा है. इस ग्रहण में हम 900 साल के बाद वलयाकार सूर्यग्रहण को देख सकेगें. अगला सूर्य ग्रहण शायद भारत में ग्यारह साल बाद दिखाई देगा, जो 21 मई 2031 को होगा, जबकि 20 मार्च 2034 को पूर्ण सूर्यग्रहण देखा जाएगा.
आज के दिन सब योगी हैं. योगी, भोगी, रोगी और भोयोगी सभी योग दिवस की शुभकामनाएं दें रहे हैं और अपनी फोटो सबके साथ शेयर कर रहे हैं. पर मेरे लिए 21 जून एक सामान्य दिन की तरह ही है. सूर्यग्रहण चल रहा है यही विशेष है. योग तो जीवन का हिस्सा ही है. फिर इसके लिए एक दिन योग दिवस मनाने की जरूरत मुझे महसूस नहीं होती. हाँ, ये दिन उनके लिए विशेष हो सकता है, जिनको पुरे साल इस दिन का इंतजार रहता है. ताकि योगाभ्यास करते हुए कुछ फोटो लेकर मित्रों को दिखा सकें. मतलब बस एक दिन योगाभ्यास कर ऐसे लोग पुरे साल उर्जा प्राप्त करते हैं.
एक दिन योग दिवस मनाकर, जीवन में कुछ हासिल होने वाला नहीं. इस योग दिवस को सफल तभी कहा जाएगा, जब हम इसे अपने दैनिक जीवन में स्थान दें. योग को जीवन का हिस्सा बनाइये, योग आपको निर्मल और स्वस्थ शरीर प्रदान करेगा.
जय हो !

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